काल सर्प दोष क्या है?

| काल सर्प दोष के 12 प्रकार

| काल सर्प दोष के निवारण

काल सर्प दोष क्या है?

काल सर्प दोष एक ज्योतिषीय दोष है जिसे तब माना जाता है जब कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच स्थित होते हैं। यह दोष व्यक्ति के जीवन में अनेक प्रकार की समस्याओं को जन्म देता है जैसे कि स्वास्थ्य समस्याएँ, आर्थिक परेशानियाँ, और मानसिक तनाव।

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काल सर्प दोष के 12 प्रकार

काल सर्प दोष के कुल 12 प्रकार होते हैं। ये विभिन्न प्रकार के दोष व्यक्ति के जीवन के विभिन्न क्षेत्रों पर विभिन्न प्रभाव डालते हैं।

1. अनंत काल सर्प दोष

यह दोष तब बनता है जब राहु प्रथम भाव में और केतु सातवें भाव में होता है। इस दोष के कारण व्यक्ति के वैवाहिक जीवन में समस्याएँ आ सकती हैं और उसे जीवन साथी के साथ असहमति और तनाव का सामना करना पड़ सकता है।

2. कुलिक काल सर्प दोष

यह दोष तब बनता है जब राहु दूसरे भाव में और केतु आठवें भाव में होता है। इस दोष के कारण व्यक्ति को आर्थिक नुकसान हो सकता है और उसे धन से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

3. वासुकी काल सर्प दोष

यह दोष तब बनता है जब राहु तीसरे भाव में और केतु नौवें भाव में होता है। इस दोष के कारण व्यक्ति को अपने भाई-बहनों के साथ विवाद और संघर्ष का सामना करना पड़ सकता है।

4. शंखपाल काल सर्प दोष

यह दोष तब बनता है जब राहु चौथे भाव में और केतु दसवें भाव में होता है। इस दोष के कारण व्यक्ति के पारिवारिक जीवन में समस्याएँ हो सकती हैं और उसे माता-पिता के साथ विवाद का सामना करना पड़ सकता है।

5. पद्म काल सर्प दोष

यह दोष तब बनता है जब राहु पाँचवें भाव में और केतु ग्यारहवें भाव में होता है। इस दोष के कारण व्यक्ति के संतान सुख में कमी आ सकती है और उसे शिक्षा में भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।

6. महापद्म काल सर्प दोष

यह दोष तब बनता है जब राहु छठे भाव में और केतु बारहवें भाव में होता है। इस दोष के कारण व्यक्ति को स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं और उसे शत्रुओं से भी सावधान रहना चाहिए।

7. तक्षक काल सर्प दोष

यह दोष तब बनता है जब राहु सातवें भाव में और केतु पहले भाव में होता है। इस दोष के कारण व्यक्ति के वैवाहिक जीवन में समस्याएँ आ सकती हैं और उसे जीवन साथी के साथ असहमति और तनाव का सामना करना पड़ सकता है।

8. कर्कोटक काल सर्प दोष

यह दोष तब बनता है जब राहु आठवें भाव में और केतु दूसरे भाव में होता है। इस दोष के कारण व्यक्ति को आर्थिक नुकसान हो सकता है और उसे धन से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

9. शंखनाद काल सर्प दोष

यह दोष तब बनता है जब राहु नौवें भाव में और केतु तीसरे भाव में होता है। इस दोष के कारण व्यक्ति को अपने भाई-बहनों के साथ विवाद और संघर्ष का सामना करना पड़ सकता है।

10. पातक काल सर्प दोष

यह दोष तब बनता है जब राहु दसवें भाव में और केतु चौथे भाव में होता है। इस दोष के कारण व्यक्ति के पारिवारिक जीवन में समस्याएँ हो सकती हैं और उसे माता-पिता के साथ विवाद का सामना करना पड़ सकता है।

11. विषधर काल सर्प दोष

यह दोष तब बनता है जब राहु ग्यारहवें भाव में और केतु पाँचवें भाव में होता है। इस दोष के कारण व्यक्ति के संतान सुख में कमी आ सकती है और उसे शिक्षा में भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।

12. शेषनाग काल सर्प दोष

यह दोष तब बनता है जब राहु बारहवें भाव में और केतु छठे भाव में होता है। इस दोष के कारण व्यक्ति को स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं और उसे शत्रुओं से भी सावधान रहना चाहिए।

काल सर्प दोष के निवारण

काल सर्प दोष के निवारण के लिए कई उपाय सुझाए जाते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख उपाय दिए गए हैं:

1. मंत्र जाप

काल सर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना बहुत प्रभावी माना जाता है। इसके अलावा काल सर्प दोष निवारण मंत्र का भी जाप किया जा सकता है।

2. रुद्राभिषेक

रुद्राभिषेक एक महत्वपूर्ण पूजा विधि है जो शिवलिंग पर गंगाजल, दूध और शहद से अभिषेक करके की जाती है। यह पूजा काल सर्प दोष को दूर करने में सहायक होती है।

3. नाग पूजा

नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करना भी काल सर्प दोष के निवारण के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन नाग देवता को दूध चढ़ाने से दोष के प्रभाव में कमी आती है।

4. रत्न धारण

काल सर्प दोष से प्रभावित व्यक्ति को रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है। राहु और केतु के प्रभाव को कम करने के लिए गोमेद और लहसुनिया रत्न धारण किया जा सकता है।

5. दान पुण्य

काल सर्प दोष के निवारण के लिए दान पुण्य का विशेष महत्व है। पीपल के पेड़ की सेवा करना, गरीबों को भोजन कराना और जरूरतमंदों को वस्त्र दान करना दोष को कम करने में सहायक होता है।

6. व्रत और उपवास

काल सर्प दोष के प्रभाव को कम करने के लिए व्रत और उपवास भी महत्वपूर्ण होते हैं। विशेषकर नाग पंचमी और महाशिवरात्रि के दिन व्रत रखने से दोष के प्रभाव में कमी आती है।

7. विशेष पूजा

काल सर्प दोष निवारण के लिए विशेष पूजा भी की जाती है। इनमें काल सर्प दोष निवारण पूजा और राहु-केतु शांति पूजा प्रमुख हैं। यह पूजा किसी विद्वान ब्राह्मण द्वारा करवाई जानी चाहिए।