
वरद चतुर्थी 2024: जानें पूजा विधि और गणेशजी की कृपा पाने के चमत्कारी उपाय
वरद चतुर्थी इस साल 5 नवंबर 2024 को मनाई जाएगी। वरद चतुर्थी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को आती है और इसे भगवान गणेश को समर्पित किया गया है। ‘वरद’ का अर्थ होता है ‘वरदान देने वाला,’ और इस दिन भगवान गणेश का पूजन जीवन में सुख, समृद्धि और मनोवांछित फल देने के लिए किया जाता है। इस दिन व्रत और पूजा करने से व्यक्ति को जीवन में कई लाभ प्राप्त होते हैं और संकटों का निवारण होता है।
वरद चतुर्थी का महत्व
इस दिन व्रत करने से भगवान गणेश की कृपा से जीवन के सभी कार्य सफल होते हैं। माना जाता है कि गणेश जी को प्रसन्न करने से बाधाएं दूर होती हैं और व्यक्ति की इच्छाएं पूरी होती हैं। इस दिन विशेषकर उन लोगों के लिए लाभकारी माना जाता है जो मानसिक और शारीरिक समस्याओं से जूझ रहे होते हैं। इस दिन का व्रत सौभाग्य, स्वास्थ्य, और सफलता प्रदान करता है। इसके अलावा, इसका पालन करने से भगवान गणेश हर व्यक्ति के जीवन से विघ्नों का नाश करते हैं और ज्ञान, धैर्य और साहस का वरदान देते हैं।
कहा जाता है कि वरद चतुर्थी का व्रत देवी पार्वती और भगवान शिव द्वारा भी किया गया था, जब भगवान गणेश का जन्म हुआ था। इस व्रत का पालन करने से व्यक्ति को वही लाभ प्राप्त होते हैं, जो देवी पार्वती ने गणेशजी को प्रसन्न करने के लिए पाया था।
पूजा विधि
- स्नान और शुद्धि: प्रातःकाल स्नान करके साफ वस्त्र पहनें। गणेशजी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- मंत्र जाप: ओम गण गणपतये नमः मंत्र का जाप करें और ध्यान करें।
- दूर्वा अर्पण: गणेशजी को दूर्वा घास अर्पित करें।
- सिंदूर और हल्दी: गणेश जी को सिंदूर और हल्दी लगाएं, यह उनकी विशेष प्रिय वस्तुएं मानी जाती हैं।
- मोदक का भोग: गणेशजी को मोदक या लड्डू का भोग लगाएं।
- आरती और दीपदान: पूजा के अंत में आरती करें और दीप जलाएं। फिर, गणेश चालीसा या उनके स्तोत्र का पाठ करें।
व्रत की विधि
वरद चतुर्थी का व्रत करने वाले भक्त उपवास रखें और दिन भर फलाहार ग्रहण करें। शाम के समय गणेश पूजन के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है। व्रत करने वालों को इस दिन क्रोध और अहंकार से बचना चाहिए। व्रत के दौरान गणेश जी की कथाएं सुनना या पढ़ना विशेष लाभकारी माना जाता है।
वरद चतुर्थी के लाभ
- संकटों का निवारण: गणेश जी को विघ्न हर्ता कहा जाता है, इस दिन उनकी पूजा से जीवन की बाधाएं दूर होती हैं।
- शुभ फल: यह दिन विशेष रूप से नई शुरुआत या कार्यारंभ के लिए उत्तम माना जाता है।
- सफलता का वरदान: माना जाता है कि वरद चतुर्थी पर गणेश जी से वरदान पाने के लिए, की गई पूजा और व्रत, व्यक्ति को सफलता की ओर ले जाते हैं।
- धार्मिक और मानसिक शांति: इस व्रत के दौरान मंत्र जाप और ध्यान से मानसिक शांति प्राप्त होती है।
वरद चतुर्थी पर क्या करें और क्या न करें
- क्या करें:
- परिवार के साथ गणेशजी की आराधना करें।
- दान करें, विशेषकर भोजन का दान।
- धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करें और अन्य लोगों को भी धर्म के महत्व को बताएं।
- क्या न करें:
- इस दिन अहंकार और क्रोध से बचें।
- किसी भी प्रकार का नकारात्मक विचार न रखें और दूसरों का अपमान न करें।
- अनावश्यक खर्चों से बचें और जितना संभव हो आत्म-संयम रखें।
विशेष मुहूर्त
- चतुर्थी तिथि का प्रारंभ: 5 नवंबर
- पूजन का उत्तम समय: चतुर्थी की शाम को गणेशजी की आराधना और व्रत का संकल्प लेना अत्यंत शुभ माना जाता है।
देश के विभिन्न हिस्सों में वरद चतुर्थी को अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। दक्षिण भारत में इसे विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है, जहाँ इसे ‘वर सिद्धि विनायक व्रत’ भी कहा जाता है। महाराष्ट्र में इस दिन को खास मानते हुए सभी मंदिरों में गणेश पूजन का आयोजन होता है।