जीवन में घमंड क्यों? | पंडित गौरांगी गौरी जी की प्रेरक बातें

जीवन में लोग अक्सर घमंड और अभिमान में डूब जाते हैं, जबकि उन्हें यह समझना चाहिए कि सब कुछ अस्थायी है। जिस प्रभु का नूर देखने से इंसान बनता है, वही इंसान अक्सर अपनी जरूरतों और इच्छाओं के पीछे भागता रहता है, खुद को ही सब कुछ मान बैठता है। जीवन का सत्य यह है कि मौत एक दिन सबको अपने मोह से दूर कर देगी, फिर भी इंसान अपनी इच्छाओं और अहंकार में खोया रहता है। हमें यह ज्ञात है कि हम सब एक दिन मर जाएंगे, फिर भी हम जीवन के अगले क्षण के लिए भी आश्वस्त नहीं होते, लेकिन भविष्य के लिए योजनाएं बनाते रहते हैं।

इंसान का स्वभाव ऐसा है कि वह अपनी इच्छाओं को कभी पूरा नहीं मानता। जब हमारे पास साइकिल होती है, तो हम बाइक की इच्छा करते हैं। बाइक मिलने के बाद हम कार की, और कार मिलने पर एक बड़े घर की। इस तरह हमारी इच्छाएं बढ़ती ही जाती हैं, और हमें संतुष्टि कभी नहीं मिलती। हर नई प्राप्ति के बाद भी हमारी इच्छाएं और भी बढ़ जाती हैं। लेकिन जीवन का सच्चा आनंद तो उसी में है जो हमारे पास है, उसे अपनाने और उसमें संतुष्ट रहने में। इच्छाओं के पीछे भागने से कभी संतोष नहीं मिलता, और अहंकार के साथ जीने से अंत में केवल पछतावा ही हाथ आता है।

हमारे पास जो कुछ भी है, वही पर्याप्त है। इच्छाओं को सीमित करके, संतोष को अपनाकर और अहंकार को त्यागकर ही हम जीवन में सच्चे सुख और शांति का अनुभव कर सकते हैं।

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