भक्त का प्रेम: भगवान की कृपा का सच्चा कारण | पंडित गौरांगी गौरी जी

उस आनंद की कोई सीमा नहीं है, जो हमारे नेत्रों और कानों को भगवान की कथा सुनने और उनके विग्रह का दर्शन करने से प्राप्त होता है। यह आनंद इतना गहन और अप्रतिम है कि उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। गोस्वामी तुलसीदास जी भी कहते हैं कि इस आनंद को मन, कान, और रसना से अनुभव किया जा सकता है, परंतु इसे कहने और समझाने में असमर्थता होती है।

सच्चे प्रेम में डूबे भक्त के लिए यह आनंद अनमोल होता है। जब भगवान का साक्षात्कार होता है, तो वह क्षण इतना पावन और दिव्य होता है कि उसे बयां करने के लिए शब्द नहीं रह जाते। प्रेम ही वह माध्यम है, जिसके द्वारा भगवान की प्राप्ति होती है। वह प्रेम, जो जाति, अमीरी-गरीबी, और बाहरी दिखावे से परे, केवल शुद्ध और निष्कपट भावनाओं पर आधारित होता है। यही कारण है कि भगवान अपने भक्तों के प्रेम के आगे नतमस्तक होते हैं और उनकी भक्ति का प्रतिफल देते हैं।