बालाजी चालीसा: आध्यात्मिक, मानसिक और शारीरिक कल्याण का मार्ग

बालाजी चालीसा, भगवान हनुमान के एक अन्य स्वरूप बालाजी की स्तुति में लिखा गया एक प्रमुख भक्तिपरक पाठ है। यह चालीसा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके पाठ से कई मानसिक और शारीरिक लाभ भी प्राप्त होते हैं। इस लेख में हम बालाजी चालीसा के पाठ के महत्व, इसके लाभ और इससे जुड़ी कुछ खास बातों पर चर्चा करेंगे।

  • बालाजी चालीसा Lyrics
  • चालीसा का महत्व
  • चालीसा कैसे करें
  • चालीसा के लाभ
  • कब और कैसे करें

बालाजी चालीसा का महत्व

बालाजी चालीसा का पाठ करने से भक्तों को भगवान हनुमान की कृपा प्राप्त होती है। यह चालीसा 40 छंदों (चौपाइयों) का एक संग्रह है, जो भगवान बालाजी की महिमा और उनकी लीलाओं का वर्णन करती है। बालाजी चालीसा का नियमित पाठ करने से मन को शांति मिलती है और जीवन में आने वाली सभी परेशानियों से छुटकारा मिलता है।

  1. धार्मिक महत्व: बालाजी चालीसा का पाठ करने से भक्तों को भगवान हनुमान की कृपा और आशीर्वाद मिलता है। यह चालीसा भगवान हनुमान की महिमा का वर्णन करती है और उन्हें प्रसन्न करने का एक माध्यम है।
  2. मानसिक शांति: बालाजी चालीसा का नियमित पाठ करने से मन को शांति मिलती है और तनाव कम होता है। यह ध्यान और मेडिटेशन का एक रूप है, जो मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।
  3. शारीरिक लाभ: बालाजी चालीसा का पाठ करने से शारीरिक स्वास्थ्य भी बेहतर होता है। इसके पाठ से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो शरीर को स्वस्थ और तंदरुस्त बनाती है।

Balaji Chalisa Lyrics

॥ दोहा ॥
श्री गुरु चरण चितलाय,के धरें ध्यान हनुमान।

बालाजी चालीसा लिखे,दास स्नेही कल्याण॥

विश्व विदित वर दानी,संकट हरण हनुमान।

मैंहदीपुर में प्रगट भये,बालाजी भगवान॥

॥ चौपाई ॥
जय हनुमान बालाजी देवा।प्रगट भये यहां तीनों देवा॥

प्रेतराज भैरव बलवाना।कोतवाल कप्तानी हनुमाना॥

मैंहदीपुर अवतार लिया है।भक्तों का उध्दार किया है॥

बालरूप प्रगटे हैं यहां पर।संकट वाले आते जहाँ पर॥

डाकनि शाकनि अरु जिन्दनीं।मशान चुड़ैल भूत भूतनीं॥

जाके भय ते सब भाग जाते।स्याने भोपे यहाँ घबराते॥

चौकी बन्धन सब कट जाते।दूत मिले आनन्द मनाते॥

सच्चा है दरबार तिहारा।शरण पड़े सुख पावे भारा॥

रूप तेज बल अतुलित धामा।सन्मुख जिनके सिय रामा॥

कनक मुकुट मणि तेज प्रकाशा।सबकी होवत पूर्ण आशा॥

महन्त गणेशपुरी गुणीले।भये सुसेवक राम रंगीले॥

अद्भुत कला दिखाई कैसी।कलयुग ज्योति जलाई जैसी॥

ऊँची ध्वजा पताका नभ में।स्वर्ण कलश हैं उन्नत जग में॥

धर्म सत्य का डंका बाजे।सियाराम जय शंकर राजे॥

आन फिराया मुगदर घोटा।भूत जिन्द पर पड़ते सोटा॥

राम लक्ष्मन सिय ह्रदय कल्याणा।बाल रूप प्रगटे हनुमाना॥

जय हनुमन्त हठीले देवा।पुरी परिवार करत हैं सेवा॥

लड्डू चूरमा मिश्री मेवा।अर्जी दरखास्त लगाऊ देवा॥

दया करे सब विधि बालाजी।संकट हरण प्रगटे बालाजी॥

जय बाबा की जन जन ऊचारे।कोटिक जन तेरे आये द्वारे॥

बाल समय रवि भक्षहि लीन्हा।तिमिर मय जग कीन्हो तीन्हा॥

देवन विनती की अति भारी।छाँड़ दियो रवि कष्ट निहारी॥

लांघि उदधि सिया सुधि लाये।लक्ष्मन हित संजीवन लाये॥

रामानुज प्राण दिवाकर।शंकर सुवन माँ अंजनी चाकर॥

केशरी नन्दन दुख भव भंजन।रामानन्द सदा सुख सन्दन॥

सिया राम के प्राण पियारे।जब बाबा की भक्त ऊचारे॥

संकट दुख भंजन भगवाना।दया करहु हे कृपा निधाना॥

सुमर बाल रूप कल्याणा।करे मनोरथ पूर्ण कामा॥

अष्ट सिद्धि नव निधि दातारी।भक्त जन आवे बहु भारी॥

मेवा अरु मिष्ठान प्रवीना।भैंट चढ़ावें धनि अरु दीना॥

नृत्य करे नित न्यारे न्यारे।रिद्धि सिद्धियां जाके द्वारे॥

अर्जी का आदेश मिलते ही।भैरव भूत पकड़ते तबही॥

कोतवाल कप्तान कृपाणी।प्रेतराज संकट कल्याणी॥

चौकी बन्धन कटते भाई।जो जन करते हैं सेवकाई॥

रामदास बाल भगवन्ता।मैंहदीपुर प्रगटे हनुमन्ता॥

जो जन बालाजी में आते।जन्म जन्म के पाप नशाते॥

जल पावन लेकर घर जाते।निर्मल हो आनन्द मनाते॥

क्रूर कठिन संकट भग जावे।सत्य धर्म पथ राह दिखावे॥

जो सत पाठ करे चालीसा।तापर प्रसन्न होय बागीसा॥

कल्याण स्नेही, स्नेह से गावे।सुख समृद्धि रिद्धि सिद्धि पावे॥

॥ दोहा ॥
मन्द बुद्धि मम जानके,क्षमा करो गुणखान।

संकट मोचन क्षमहु मम,दास स्नेही कल्याण॥

बालाजी चालीसा कैसे करें

बालाजी चालीसा का पाठ करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण नियम और विधियां हैं, जिनका पालन करना चाहिए। यह पाठ सुबह या शाम के समय किया जा सकता है, और इसे करते समय मन को शांत और स्थिर रखना चाहिए।

  1. स्वच्छता: बालाजी चालीसा का पाठ करने से पहले स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करना चाहिए। स्वच्छता से मन और आत्मा दोनों को शुद्धि मिलती है।
  2. ध्यान और ध्यान केंद्रित करना: पाठ करते समय भगवान बालाजी का ध्यान करना चाहिए और मन को स्थिर रखना चाहिए। इससे पाठ का प्रभाव और भी अधिक बढ़ जाता है।
  3. संकल्प: बालाजी चालीसा का पाठ करने से पहले एक संकल्प लेना चाहिए कि आप किस उद्देश्य से यह पाठ कर रहे हैं। यह संकल्प आपकी श्रद्धा और विश्वास को और मजबूत बनाता है।
  4. पाठ की विधि: बालाजी चालीसा को श्रद्धा और भक्ति भाव से पढ़ना चाहिए। इसका पाठ एकांत और शांति वाले स्थान पर करें, जहां कोई बाहरी व्यवधान न हो।

बालाजी चालीसा के लाभ

बालाजी चालीसा का नियमित पाठ करने से भक्तों को कई लाभ प्राप्त होते हैं। यह लाभ मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक तीनों स्तरों पर होते हैं।

  1. संकटों से मुक्ति: बालाजी चालीसा का पाठ करने से जीवन में आने वाली सभी परेशानियों और संकटों से मुक्ति मिलती है। भगवान बालाजी की कृपा से हर समस्या का समाधान प्राप्त होता है।
  2. आत्मविश्वास में वृद्धि: बालाजी चालीसा का पाठ करने से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। यह पाठ मनोबल को बढ़ाता है और हर कठिनाई का सामना करने की शक्ति प्रदान करता है।
  3. स्वास्थ्य में सुधार: बालाजी चालीसा का पाठ करने से शारीरिक स्वास्थ्य में भी सुधार होता है। यह पाठ शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है, जो स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।
  4. धन और समृद्धि: बालाजी चालीसा का पाठ करने से घर में धन और समृद्धि का वास होता है। भगवान बालाजी की कृपा से हर प्रकार की आर्थिक तंगी दूर होती है।

बालाजी चालीसा का पाठ कब और कैसे करें

बालाजी चालीसा का पाठ करने के लिए विशेष समय और दिन का चयन करना चाहिए। आमतौर पर इसे मंगलवार और शनिवार के दिन करना शुभ माना जाता है, क्योंकि ये दिन भगवान हनुमान के लिए विशेष होते हैं।

  1. मंगलवार और शनिवार: मंगलवार और शनिवार के दिन बालाजी चालीसा का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इन दिनों में भगवान हनुमान की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
  2. संध्या समय: बालाजी चालीसा का पाठ सुबह या शाम के समय करना अधिक प्रभावी होता है। इस समय वातावरण शांत और शुद्ध होता है, जिससे पाठ का प्रभाव अधिक होता है।
  3. विशेष अवसर: विशेष अवसरों और त्योहारों पर बालाजी चालीसा का पाठ करना भी बहुत ही शुभ माना जाता है। जैसे हनुमान जयंती, राम नवमी आदि।

बालाजी चालीसा का पाठ: एक आत्मानुभव

बालाजी चालीसा का पाठ करना न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह एक आत्मानुभव भी है। इसके पाठ से न केवल भगवान बालाजी की कृपा प्राप्त होती है, बल्कि यह आत्मा को भी शांति और सुकून प्रदान करता है।

बालाजी चालीसा का पाठ एक साधना है, जो भक्तों को भगवान हनुमान की निकटता का अनुभव कराती है। इसके पाठ से भक्तों को अपनी आत्मा को शुद्ध करने का अवसर मिलता है और वे भगवान की कृपा के पात्र बनते हैं।