Search Results for “hanuman” – Dhaarmi https://dhaarmi.com Mon, 18 Nov 2024 11:42:03 +0000 en-GB hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.6.2 https://dhaarmi.com/wp-content/uploads/2024/09/cropped-cropped-dhaarmi-new-icn-32x32.png Search Results for “hanuman” – Dhaarmi https://dhaarmi.com 32 32 Jai Hanuman: हनुमान आरती, मंगलवार व्रत कथा, पूजा विधि https://dhaarmi.com/hanuman-aarti-chalisa-mangalwar-vrat-katha-puja-vidhi Fri, 15 Nov 2024 14:42:26 +0000 https://dhaarmi.com/?page_id=6143
hanuman

मंगलवार हनुमान आरती

मंगलवार को भगवान हनुमान की विशेष पूजा की जाती है।

मंगलवार हनुमान चालीसा

मंगलवार हनुमान मंत्र

मंगलवार हनुमान अष्टक

मंगलवार व्रत कथा

hanuman jayanti dhaarmi

एक समय की बात है, एक ब्राह्मण दंपत्ति संतानहीन थे, जिससे वे बहुत दुखी रहते थे। एक दिन ब्राह्मण हनुमान जी की पूजा करने के लिए जंगल में गया। वहाँ उसने महावीर जी से एक पुत्र की प्रार्थना की। घर पर उसकी पत्नी भी पुत्र की प्राप्ति के लिए मंगलवार का व्रत करती थी।

वह हर मंगलवार को व्रत के अंत में हनुमान जी को भोग लगाकर ही भोजन करती थी। एक बार व्रत के दिन ब्राह्मणी भोजन नहीं बना पाई और न ही हनुमान जी को भोग लगा सकी। उसने प्रण किया कि अगले मंगलवार को वह हनुमान जी को भोग लगाकर ही भोजन करेगी। वह भूखी-प्यासी छह दिन तक पड़ी रही।

मंगलवार के दिन वह बेहोश हो गई। हनुमान जी उसकी निष्ठा और समर्पण को देखकर प्रसन्न हुए। उन्होंने आशीर्वाद स्वरूप ब्राह्मणी को एक पुत्र दिया और कहा कि यह तुम्हारी बहुत सेवा करेगा। बालक पाकर ब्राह्मणी अत्यंत खुश हुई। उसने बालक का नाम मंगल रखा। कुछ समय बाद जब ब्राह्मण घर आया, तो उसने बालक को देखकर पूछा कि वह कौन है।

पत्नी ने बताया कि मंगलवार के व्रत से प्रसन्न होकर हनुमान जी ने उसे यह बालक दिया है। ब्राह्मण को अपनी पत्नी की बात पर विश्वास नहीं हुआ। एक दिन उसने मौका पाकर बालक को कुएं में गिरा दिया। जब वह घर लौटा, तो ब्राह्मणी ने पूछा, “मंगल कहां है?” तभी मंगल मुस्कुराते हुए पीछे से आ गया। उसे देखकर ब्राह्मण हैरान रह गया।

रात में हनुमान जी ने उसे सपने में दर्शन दिए और बताया कि यह पुत्र उन्होंने ही दिया है। ब्राह्मण सत्य जानकर बहुत खुश हुआ। इसके बाद से ब्राह्मण दंपत्ति हर मंगलवार को व्रत रखने लगे।

जो व्यक्ति मंगलवार व्रत कथा को पढ़ता या सुनता है और नियम से व्रत रखता है, उसे हनुमान जी की कृपा से सभी कष्ट दूर होते हैं और वह सुखी होता है, साथ ही हनुमान जी की दया का पात्र बनता है।

मंगलवार पूजा विधि

hanuman dhaarmi 2

मंगलवार की पूजा कैसे करनी चाहिए?

मंगलवार के दिन सुबह जल्दी उठकर हनुमान जी का स्मरण करना और उन्हें प्रणाम करना बहुत शुभ माना जाता है। इसके बाद, अपने नित्य कर्मों से निवृत्त होकर घर की सफाई करें और स्नान करें। यदि आपके पास गंगा जल है, तो उसे स्नान के पानी में मिलाकर स्नान करें। फिर लाल रंग के वस्त्र पहनें और जल में लाल रंग मिलाकर सूर्य देव को जल अर्पित करें। जल चढ़ाते समय ‘ॐ सूर्याय नमः’ का जाप करें और इसके बाद हनुमान जी की विधिपूर्वक पूजा करें।

हनुमान जी की पूजा की शुरुआत धूप, दीपक, लाल फूल, फल और सिंदूर अर्पित करके करें। इसके बाद हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ करें। हनुमान जी की पूजा में सुंदर काण्ड का पाठ विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, इसलिए इसे अवश्य करें। पूजा का समापन आरती के साथ करें और हनुमान जी से सुख, समृद्धि, बल, बुद्धि, विद्या और शक्ति की प्रार्थना करें।


मंगलवार के दिन क्या चढ़ाना चाहिए?

मंगलवार और शनिवार को हनुमानजी को घी के साथ सिन्दूर चढ़ाने से भगवान श्रीराम की कृपा मिलती है और आपके अधूरे काम पूरे हो जाते हैं। मंगलवार को व्रत रखकर सिन्दूर से हनुमानजी की पूजा करने और हनुमान चालीसा का पाठ करने से मंगल दोष दूर होता है। यह भी कहा जाता है कि सिन्दूर के साथ चमेली का तेल अर्पित करना चाहिए।

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व्रत और त्यौहार: Vrat and Festivals https://dhaarmi.com/vrat-and-festivals-vrat-katha-puja-aarti Fri, 15 Nov 2024 03:12:18 +0000 https://dhaarmi.com/?page_id=6032 Back:

व्रत और त्यौहार: Vrat and Festivals

कार्तिक पूर्णिमा: Kartik Purnima व्रत कथा, पूजा विधि, आरती

दिन के अनुसार पूजा: Day wise Pujas

Monday : सोमवार व्रत कथा, पूजा विधि, आरती

Tuesday: मंगलवार व्रत कथा, पूजा विधि, आरती

Wednesday: बुधवार व्रत कथा, पूजा विधि, आरती

Thursday: गुरुवार व्रत कथा, पूजा विधि, आरती

Friday: शुक्रवार कथा, पूजा विधि, आरती

Saturday: शनिवार व्रत कथा, पूजा विधि, आरती

Sunday: रविवार व्रत कथा, पूजा विधि, आरती

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Hanuman Ashtak lyrics in Hindi and English https://dhaarmi.com/aartis-bhajans-hi/hanuman-ashtak-lyrics-in-hindi-and-english https://dhaarmi.com/aartis-bhajans-hi/hanuman-ashtak-lyrics-in-hindi-and-english#respond Thu, 14 Nov 2024 03:46:12 +0000 https://dhaarmi.com/?p=5879 हनुमान अष्टक

बाल समय रबि भखसि लियो
तब तिन्हु लोक भयो अंधियारो
ताहि सो त्रस भयो जग को ये
संकट काहु सौ जात ने तारो
देवन आनि कारी बिनती तब
चढ़ि दियो रब कष्ट निवारो
को नहीं जानत है जगमें कपि
संकटमोचन नाम तिहारो |1|


बाल की त्रास कपीस बसे गिरी
जात महाप्रभु पंथ निहारो
चौंकि महा मुनि शाप दियो
तब चाहे कौन बिचार बिचारो
कै द्विज रूप लिवाया महाप्रभु सो तुम दास के सोक निवारो
को नहीं जानत है जगमें कपि
संकटमोचन नाम तिहारो|2|


अंगद के संग लेन गई सिया
खोज कपीस ये बैन उचारो
जीवत न बचिहो हम सो जू
बिना सुधि लाये इहा पग धरो
उसकी थाके तात सिन्धु सबै
तब लेय सिय-सुध प्राण उबारो
को नहीं जानत है जगमें कपि
संकटमोचन नाम तिहारो|3|


रावण त्रास दै सिया को सब
राक्षसी सो कहि सोक निवारो
ताहि समय हनुमान महाप्रभु जय महा रजनीचर मारो
चाहत सिया असोक सो आगि सू
दै प्रभु मुद्रिका सोक निवारो
को नहीं जानत है जगमें कपि
संकटमोचन नाम तिहारो|4|


बाण लाग्यो उर लक्ष्मण के ताब
प्राण तजे सुत रावण मारो
लेय गृह बैद्य सुशेन समेट
ताबे गिरि द्रोण सु बीर उपारो
आनि सजीवन हाथ दै तब
लक्ष्मण के तुम प्राण उबारो
को नहीं जानत है जगमें कपि
संकटमोचन नाम तिहारो|5|


रावण जुध अजान कियो तब
नाग की फाँस सबे सिर दारो
श्रीरघुनाथ सहित सबे दल
मोह भयो ये संकट भरो
आनी खगेस तबे हनुमान जू
बंधन कटि सूत्रस निवारो
को नहीं जानत है जगमें कपि
संकटमोचन नाम तिहारो|6|


बन्धु सहित जाबे अहिरावण
लेय रगुनाथ पाताल सिधारो
देबिहि पूजि भलिबिधि सो बलि
देउ सबे मिलि मंत्र बिचारो
जया सहाय भयो तब ही अहिरावण सैन्य समेट संहारो
को नहीं जानत है जगमें कपि
संकटमोचन नाम तिहारो|7|


काज किये बड़ देवन के तुम
बीर महाप्रभु देखि बिचारो
कौन सो संकट मोर गरीब को
जो तुमसो नहीं जात है तारो
बेग हरो हनुमान महाप्रभु
जो कुछ संकट होय हमारो
को नहीं जानत है जगमें कपि
संकटमोचन नाम तिहारो|8|

दोहा
लाल देह लाली लेसे अरु धारी
लाल लंगूर
बज्र देह दानव दलन जय जय
जय कपि सूर

Hanuman Ashtak in English

Baal Samay Rabi Bhakshi Liyo
Tab Tinhu Lok Bhayo Andhiyaaro
Taahi So Tras Bhayo Jag Ko Yeh
Sankat Kaahu Sau Jaat Ne Taaro
Devan Aani Kari Binti Tab
Chadi Diyo Rab Kasht Nivaaro
Ko Nahi Jaanat Hai JagMein Kapi
Sankatmochan Naam Tihaaro |1|


Baal Ki Traas Kapis Basey Giri
Jaat Mahaprabhu Panth Niharo
Chaunki Maha Muni Shaap Diyo
Tab Chahiy Kaun Bichar Bicharo
Kay Dwij Roop Livaya Mahaprabhu So Tum Das Ke Sok Nivaro
Ko Nahi Jaanat Hai JagMein Kapi
Sankatmochan Naam Tihaaro|2|


Angad Ke Sang Len Gaye Siya
Khoj Kapis Yeh Bain Ucharo
Jivat Na Bachiho Hum So Ju
Bina Sudhi Laye Iha Pag Dhaaro
Her Thakey Tat Sindhu Sabey
Tab Lay Siya-Sudh Pran Ubaaro
Ko Nahi Jaanat Hai JagMein Kapi
Sankatmochan Naam Tihaaro|3|


Raavan Traas Dai Siya Ko Sab
Raakshashi So Kahi Sok Nivaaro
Taahi Samay Hanuman Mahaprabhu Jaaya Maha Rajnichar Maaro
Chahat Siya Asok So Aagi Su
Dai Prabhu Mudrika Sok Nivaaro
Ko Nahi Jaanat Hai JagMein Kapi
Sankatmochan Naam Tihaaro|4|


Baan Lagyo Ur Laxman Ke Tab
Pran Tajey Sut Ravan Maaro
Ley Grah Baidya Sushen Samet
Tabey Giri Dron Su Bir Upaaro
Aani Sajeevan Haath Dai Tab
Laxman Ke Tum Pran Ubaaro
Ko Nahi Jaanat Hai JagMein Kapi
Sankatmochan Naam Tihaaro|5|


Ravan Judh Ajaan Kiyo Tab
Naag Ki Faans Sabey Sir Daaro
ShriRagunath Samet Sabey Dal
Moh Bhayo Yeh Sankat Bhaaro
Aani Khages Tabey Hanuman Ju
Bandhan Kaati Sutraas Nivaaro
Ko Nahi Jaanat Hai JagMein Kapi
Sankatmochan Naam Tihaaro|6|


Bandhu Samet Jabey Ahiravan
Ley Ragunath Pataal Sidhaaro
Debihi Puji BhaliBidhi So Bali
Deoo Sabey Mili Mantra Bichaaro
Jaaya Sahaya Bhayo Tab Hi Ahiravan Sainya Samet Sanhaaro
Ko Nahi Jaanat Hai JagMein Kapi
Sankatmochan Naam Tihaaro|7|


Kaaj Kiye Bad Devan Ke Tum
Bir Mahaprabhu Dekhi Bichaaro
Kaun So Sankat Mor Garib Ko
Jo Tumso Nahi Jaat Hai Taaro
Baig Haro Hanuman Mahaprabhu
Jo Kuch Sankat Hoey Hamaro
Ko Nahi Jaanat Hai JagMein Kapi
Sankatmochan Naam Tihaaro|8|

Doha
Laal Deh Laali Lase Aru Dhari
Laal Langoor
Bajra Deh Daanav Dalan Jay Jay
Jay Kapi Soor

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आरती संग्रह: All Aartis https://dhaarmi.com/aarti-sangrah-all-aartis Wed, 13 Nov 2024 16:47:32 +0000 https://dhaarmi.com/?page_id=5832 Back:

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Ganesh ji: Jai Ganesh Deva

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Hanuman ji: Aarti keeje hanuman lalaa

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Brahspati Devi ji: जय वृहस्पति देवा

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महामृत्युंजय मंत्र: Mahamrityunjaya mantra

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गणेश मंत्र: Ganesh Mantra

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शनि मंत्र: Shani Mantra

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बीज मंत्र: Beej Mantra

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Shiv ji: भगवान शिव: Aarti, Vrat Katha, Mantra

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Ganesh ji: गणेश जी Aarti, Vrat Katha, Mantra

Maa Durga: दुर्गा माँ: Aarti, Chalisa, Mantra

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Santoshi Mata : संतोषी माँ Aarti, Vrat Katha, Mantra

Shani Dev ji: शनि देव Aarti, Vrat Katha, Mantra

Krishna ji: कृष्णा जी

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Hanuman: भगवान राम और हनुमान की लड़ाई क्यों हुई थी ? https://dhaarmi.com/mythology-kathas/hanuman-why-did-lord-ram-fight-hanuman https://dhaarmi.com/mythology-kathas/hanuman-why-did-lord-ram-fight-hanuman#respond Mon, 30 Sep 2024 15:20:37 +0000 https://dhaarmi.com/?p=4684 भगवान राम और हनुमान की कथा भारतीय संस्कृति और धार्मिक साहित्य में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखती है। रामायण की कथाएं और भगवान राम तथा हनुमान के बीच की घटनाएं हमारे जीवन में नैतिकता, भक्ति और कर्तव्यपरायणता का प्रतीक हैं। इस लेख में हम उन महत्वपूर्ण सवालों का जवाब देने की कोशिश करेंगे जिनमें राम और हनुमान की लड़ाई, हनुमान जी की मृत्यु और उनके द्वारा भगवान राम से मांगी गई वरदानों की बात की जाएगी।

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भगवान राम और हनुमान की लड़ाई क्यों हुई थी?

भगवान राम और हनुमान के बीच लड़ाई की कथा बेहद रोमांचक और शिक्षाप्रद है। यह कथा तुलसीदास जी की “रामचरितमानस” में विस्तार से नहीं है, लेकिन कुछ पुराणों में इसका उल्लेख मिलता है। एक प्रमुख कथा के अनुसार, यह घटना भगवान राम के राज्याभिषेक के बाद की है, जब हनुमान जी अयोध्या में भगवान राम के पास रहे।

एक समय की बात है कि जब भगवान राम ने हनुमान से एक विशेष कार्य करने के लिए कहा। हनुमान ने इस कार्य को करने में थोड़ी देरी कर दी, और इस कारण भगवान राम ने क्रोध में आकर अपने धनुष से एक बाण छोड़ने का निश्चय किया। हनुमान जी ने भगवान राम का बाण सहन कर लिया, लेकिन वह भगवान राम की आज्ञा का पालन करने में तत्पर थे।

इस घटना से एक महत्वपूर्ण सीख यह मिलती है कि भले ही भगवान राम और हनुमान के बीच एक अस्थायी विवाद हुआ हो, लेकिन हनुमान की भक्ति और उनकी सेवा का भाव अटल था। उन्होंने भगवान राम की भक्ति में किसी भी प्रकार का संदेह नहीं रखा और अपना समर्पण पूरी तरह बनाए रखा।

यह घटना हमें यह सिखाती है कि रिश्तों में कभी-कभी मतभेद हो सकते हैं, लेकिन भक्ति, समर्पण और कर्तव्य का पालन इन मतभेदों को हल करने का मार्ग है। भगवान राम और हनुमान की यह लड़ाई अंततः भगवान की परीक्षा थी, जिसमें हनुमान ने अपनी अडिग भक्ति का प्रमाण दिया।

भगवान राम की मृत्यु के बाद हनुमान का क्या हुआ था?

भगवान राम की मृत्यु के बाद, अयोध्या के राजकाज का भार उनके पुत्र कुश और लव को सौंप दिया गया। हनुमान जी, जो भगवान राम के अनन्य भक्त थे, राम की मृत्यु के बाद भी राम के आदर्शों और उनकी शिक्षाओं का पालन करते रहे।

पुराणों के अनुसार, भगवान राम के मृत्यु के बाद हनुमान जी ने पृथ्वी पर रहने का निश्चय किया और अपने प्रभु राम के नाम का जाप करते रहे। हनुमान ने भगवान राम से अमरता का वरदान मांगा था, और इस वरदान के कारण वे आज भी जीवित माने जाते हैं। उन्हें पृथ्वी पर राम के दूत के रूप में माना जाता है और आज भी उनकी उपस्थिति की मान्यता विभिन्न धार्मिक गतिविधियों और त्योहारों में देखी जा सकती है।

हनुमान जी ने अपनी पूरी ज़िंदगी भगवान राम की सेवा और उनके सिद्धांतों के पालन में समर्पित कर दी। वे रामायण के अंत में भी भगवान राम के प्रिय सेवक बने रहे और संसार में धर्म की स्थापना और रक्षा के लिए सक्रिय रहे।

हनुमान ने राम से क्या मांगा था?

हनुमान जी का जीवन भगवान राम की भक्ति में समर्पित था। रामायण और अन्य पुराणों में बताया गया है कि हनुमान ने भगवान राम से केवल एक ही वरदान मांगा था कि उन्हें राम की भक्ति और सेवा का अवसर सदा मिलता रहे। यह वरदान हनुमान की निःस्वार्थ भक्ति और समर्पण को दर्शाता है।

एक अन्य कथा के अनुसार, जब भगवान राम ने हनुमान से कुछ मांगने के लिए कहा, तो हनुमान जी ने राम से निवेदन किया कि वे उन्हें हमेशा राम का नाम जपने और उनकी सेवा करने का अधिकार दें। इसके अलावा, हनुमान ने अमरता का वरदान भी मांगा, ताकि वे हमेशा भगवान राम के नाम का प्रचार कर सकें और धर्म की रक्षा कर सकें। इस प्रकार, हनुमान जी को अमरता का वरदान मिला, और वे आज भी धरती पर जीवित माने जाते हैं।

यह कथा हमें यह सिखाती है कि सच्ची भक्ति में किसी भी प्रकार की व्यक्तिगत इच्छाओं का स्थान नहीं होता। हनुमान ने अपने जीवन को पूरी तरह भगवान राम की सेवा में अर्पित कर दिया और यही कारण है कि वे आज भी अजेय माने जाते हैं।

हनुमान की मृत्यु कैसे हुई थी?

हनुमान जी की मृत्यु की कोई स्पष्ट कथा नहीं मिलती है, क्योंकि उन्हें अमर माना जाता है। भगवान राम ने हनुमान को अमरता का वरदान दिया था, जिसके अनुसार हनुमान सदा के लिए जीवित रहेंगे और इस धरती पर धर्म और सत्य की रक्षा के लिए कार्य करते रहेंगे।

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पुराणों और धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, हनुमान जी आज भी जीवित हैं और वे उन भक्तों की सहायता करते हैं जो सच्चे हृदय से भगवान राम का स्मरण और भक्ति करते हैं। कई स्थानों पर हनुमान जी की उपस्थिति की मान्यता है और कहा जाता है कि वे आज भी गुप्त रूप से संसार में विचरण करते हैं।

इस प्रकार, हनुमान की मृत्यु की कोई कथा नहीं है क्योंकि वे भगवान राम के वरदान से अमर माने जाते हैं। वे हमेशा राम के दूत के रूप में इस धरती पर कार्यरत रहते हैं और उनके भक्तों की सहायता करते हैं।

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Hanuman ji: क्या हनुमान जी का विवाह हुआ था? https://dhaarmi.com/mythology-kathas/hanuman-was-hanuman-ji-married https://dhaarmi.com/mythology-kathas/hanuman-was-hanuman-ji-married#respond Tue, 17 Sep 2024 03:39:55 +0000 https://dhaarmi.com/?p=4238 हनुमान जी की मृत्यु और विवाह का रहस्य

हनुमान जी, जिन्हें “अजर-अमर” माना जाता है, भगवान राम के परम भक्त और शक्ति, भक्ति, और सेवा के प्रतीक हैं। पौराणिक कथाओं में हनुमान जी की मृत्यु का उल्लेख नहीं मिलता क्योंकि उन्हें अमर माना गया है। हालाँकि, कुछ क्षेत्रीय और विशेष कथाओं में उनकी मृत्यु के बारे में विभिन्न दृष्टिकोण प्रस्तुत किए जाते हैं। इस लेख में, हम हनुमान जी की मृत्यु, उनकी कथित पत्नी सुवर्चला देवी, और सुवर्चला सहित हनुमान मंदिर के दिलचस्प तथ्यों पर चर्चा करेंगे।

हनुमान जी की मृत्यु का प्रश्न

हनुमान जी को अमरता का वरदान मिला था, जो उन्हें अजर-अमर बनाता है। यह वरदान उन्हें भगवान राम और अन्य देवताओं से मिला था, जिससे यह सुनिश्चित किया गया था कि जब तक धरती पर रामकथा का गुणगान होता रहेगा, हनुमान जी धरती पर जीवित रहेंगे। भारतीय धर्मग्रंथों के अनुसार, त्रेता युग से लेकर कलियुग तक हनुमान जी को जीवित माना जाता है।

हालाँकि, कुछ ग्रंथों में उनकी “मृत्यु” के प्रतीकात्मक वर्णन भी मिलते हैं। मान्यता है कि कलियुग में हनुमान जी आज भी जीवित हैं और भक्तों की सहायता करते हैं। उनके अमर होने के कारण, उनकी मृत्यु की कथा मुख्यधारा की हिंदू मान्यताओं का हिस्सा नहीं है।

हनुमान जी की पत्नी सुवर्चला देवी

हनुमान जी की पत्नी होने का विचार मुख्यधारा की धार्मिक कथाओं से अलग है। लोककथाओं और कुछ मंदिरों की परंपराओं में हनुमान जी का विवाह सूर्यदेव की पुत्री सुवर्चला देवी से होने की कथा सुनाई जाती है। इस कथा के अनुसार, हनुमान जी सूर्यदेव के शिष्य थे, जिन्होंने उनसे शिक्षा प्राप्त की। जब उनकी शिक्षा पूरी हुई, तो गुरु दक्षिणा में सूर्यदेव ने उन्हें अपनी पुत्री सुवर्चला से विवाह करने का आदेश दिया।

सुवर्चला देवी एक महान तपस्विनी थीं, और उनका विवाह हनुमान जी से होने के बावजूद, हनुमान जी ने अपनी ब्रह्मचर्य की प्रतिज्ञा को नहीं तोड़ा। इस कथा के अनुसार, हनुमान जी और सुवर्चला देवी का संबंध सिर्फ आध्यात्मिक था, जिसमें हनुमान जी ने अपना ब्रह्मचर्य बनाए रखा। यह कथा मुख्यधारा की मान्यताओं से हटकर है, लेकिन कुछ मंदिरों और क्षेत्रीय परंपराओं में इसे स्वीकार किया जाता है।

सुवर्चला सहित हनुमान मंदिर: खम्मम, तेलंगाना

तेलंगाना के खम्मम जिले में स्थित “सुवर्चला सहित हनुमान मंदिर” एक अद्वितीय और दुर्लभ मंदिर है, जहां हनुमान जी की पूजा उनकी पत्नी सुवर्चला देवी के साथ की जाती है। यह मंदिर उन कुछ मंदिरों में से एक है, जहां हनुमान जी को गृहस्थ (विवाहित) रूप में दर्शाया गया है।

यह मंदिर विशेष रूप से हनुमान जी और सुवर्चला देवी के विवाह की कथा को मान्यता देता है और भक्तों के बीच यह मान्यता है कि इस मंदिर में दर्शन करने से व्यक्ति को वैवाहिक जीवन में सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। मंदिर का वातावरण शांति और आस्था से परिपूर्ण है, और यहां दूर-दूर से भक्त आकर हनुमान जी और सुवर्चला देवी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

मंदिर की विशिष्टताएँ और मान्यताएँ

  1. विवाहित हनुमान जी की प्रतिमा: मंदिर में हनुमान जी को सुवर्चला देवी के साथ प्रतिष्ठित किया गया है। यह दृश्य भक्तों के लिए अत्यंत अद्वितीय है, क्योंकि सामान्यतः हनुमान जी को ब्रह्मचारी रूप में पूजा जाता है। यहां उनकी मूर्ति विवाह के प्रतीकात्मक रूप में स्थापित की गई है।
  2. विवाह से जुड़ी मान्यताएँ: इस मंदिर में मान्यता है कि जो लोग वैवाहिक जीवन में परेशानियों का सामना कर रहे हैं, वे हनुमान जी और सुवर्चला देवी की पूजा कर उनसे सुखमय दांपत्य जीवन का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। यहां आने वाले भक्त विशेष रूप से अपने वैवाहिक जीवन में समृद्धि और शांति के लिए प्रार्थना करते हैं।
  3. विशेष पूजा अनुष्ठान: मंदिर में मंगलवार और शनिवार को विशेष पूजा और अनुष्ठानों का आयोजन होता है। भक्तों का मानना है कि इस दिन हनुमान जी और सुवर्चला देवी की पूजा करने से विशेष आशीर्वाद प्राप्त होते हैं। यहां विवाह और वैवाहिक सुख से जुड़ी कई कथाएँ और चमत्कारी घटनाएँ सुनाई जाती हैं।
  4. मंदिर की भव्यता: सुवर्चला सहित हनुमान मंदिर की वास्तुकला अद्वितीय है। मंदिर का निर्माण परंपरागत दक्षिण भारतीय शैली में किया गया है और यहां की मूर्तियाँ अत्यंत सुन्दर और दिव्य हैं। मंदिर का वातावरण शांति और आध्यात्मिकता से परिपूर्ण है, जो भक्तों को मन की शांति प्रदान करता है।

हनुमान जी की कथा का सांस्कृतिक महत्व

हनुमान जी की कथा सिर्फ धार्मिक मान्यताओं का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग भी है। हनुमान जी की पूजा और उनके जीवन से जुड़े विभिन्न पक्षों को लोग अपने जीवन में प्रेरणा के रूप में लेते हैं। चाहे वह उनकी सेवा भावना हो, अथवा भगवान राम के प्रति उनकी असीम भक्ति, हनुमान जी हर युग में लोगों के आदर्श रहे हैं।

उनके ब्रह्मचर्य और निःस्वार्थ सेवा के कारण, अधिकांश लोग उन्हें अविवाहित मानते हैं। लेकिन सुवर्चला देवी के साथ विवाह की कथा ने उनके जीवन के इस पहलू को भी एक नया दृष्टिकोण दिया है, जो धार्मिक और सांस्कृतिक चर्चाओं का विषय बना रहता है।

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Video Kaushik Ji Maharaj: मंगलवार को सुनें यह अद्भुत हनुमान कथा https://dhaarmi.com/gurus-sants-kathas/video-kaushik-ji-maharaj-listen-to-this-amazing-hanuman-katha-on-tuesday https://dhaarmi.com/gurus-sants-kathas/video-kaushik-ji-maharaj-listen-to-this-amazing-hanuman-katha-on-tuesday#respond Tue, 10 Sep 2024 03:00:01 +0000 https://dhaarmi.com/?p=3984

चरणों की परीक्षा: हनुमानजी की भक्ति और उनकी शक्ति | एक अद्भुत कथा | कौशिक जी महाराज

हनुमानजी की भक्ति और उनकी शक्ति की कहानियाँ भारतीय पौराणिक साहित्य में अमूल्य हैं। उनकी भक्ति और समर्पण की कई कहानियाँ हमें प्रेरित करती हैं। एक विशेष कथा, जो हमें हनुमानजी की शक्ति और उनकी अद्वितीय भक्ति की ओर ले जाती है, वह है ‘सुकट की रक्षा’ की कहानी। इस कथा में हम देखेंगे कि कैसे हनुमानजी ने अपने वचन को पूरा किया और अपनी भक्ति का प्रमाण प्रस्तुत किया।

कथा का प्रारंभ

कथा का आरंभ उस समय होता है जब हनुमानजी की माँ ने उन्हें एक कठिन कार्य सौंपा। माँ ने कहा, “हे हनुमान, यह सुकट एक बहुत ही भले और सीधे व्यक्ति हैं। वे काशी के राजा विश्वनाथ के परम भक्त हैं और राम के भी अटूट भक्त हैं। राम ने सुकट के प्राण लेने की सौगंध खाई है, और मैंने अपने हनुमान को इनके प्राणों की रक्षा के लिए वचन दिया है। तुम्हें यह वचन पूरा करना होगा और राम के बाण से सुकट को बचाना होगा।”

हनुमानजी ने इस कठिन कार्य को स्वीकार कर लिया। उन्होंने कहा, “माँ, संजीवनी लेने का कार्य भी इतना कठिन नहीं था, जितना कि तुमने यह कार्य बताया है। लेकिन तुम्हारे आशीर्वाद से ही यह संभव हो सकता है।” हनुमानजी ने सुकट को लेकर अयोध्या की ओर यात्रा की और उनकी रक्षा के लिए प्रार्थना की।

सुकट की रक्षा

हनुमानजी ने अयोध्या में पहुँचकर सुकट को सरयू नदी में उतारा और राम के नाम का कीर्तन करने लगे। “श्री राम जय राम जय जय राम” का जाप करते हुए, सुकट ने आनंदित होकर नृत्य किया। इसी बीच, राम ने अपने बाण को सुकट की ओर चलाया, लेकिन वह बाण हनुमानजी की कीर्तन से प्रभावित होकर लौट गया और राम के तरकस में समा गया।

रामजी ने देखा कि उनका बाण खाली चला गया और आश्चर्यचकित हुए। उन्होंने एक दूसरा बाण छोड़ा, लेकिन वही परिणाम रहा। फिर उन्होंने तीसरा बाण छोड़ा, लेकिन वह भी सुकट को छूने के बजाय लौट गया। रामजी ने सोचा कि कोई विशेष शक्ति है जो सुकट को बचा रही है। उन्होंने अपने गुरु वशिष्ठजी को बुलाया, जिन्होंने समझाया कि हनुमानजी और नारदजी ने मिलकर राम के नाम का प्रचार करने के लिए यह व्यवस्था की है।

हनुमानजी की विनती

हनुमानजी ने रामजी से दो वरदान माँगे। पहले वरदान में, हनुमानजी ने माँगा कि जो व्यक्ति राम के नाम का कीर्तन करेगा, उसके प्राणों की रक्षा के लिए वह स्वयं कवच बन जाए। दूसरे वरदान में, हनुमानजी ने माँगा कि राम का बाण भी उस व्यक्ति के प्राणों को नहीं ले सके। रामजी ने इन वरदानों को स्वीकार कर लिया और हनुमानजी की भक्ति और स्नेह की सराहना की।

हनुमान चालीसा का प्रभाव

हनुमानजी की भक्ति की इस कथा से हमें यह सीखने को मिलता है कि उनकी भक्ति और उनका नाम हमारे जीवन को हर प्रकार के संकट से बचा सकता है। हनुमान चालीसा, जो गोस्वामी तुलसीदासजी ने लिखा था, इस भक्ति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह हमें यह सिखाती है कि हनुमानजी की पूजा और उनके नाम का जाप जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर कर सकता है और हमें शक्ति और सुरक्षा प्रदान कर सकता है।

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Hanuman mantra: हनुमान मंत्र | अर्थ, महत्व और लाभ https://dhaarmi.com/aartis-bhajans-hi/hanuman-mantra-significance-benefits-and-practice https://dhaarmi.com/aartis-bhajans-hi/hanuman-mantra-significance-benefits-and-practice#respond Mon, 02 Sep 2024 14:01:20 +0000 https://dhaarmi.com/?p=3713 हनुमान मंत्र: भक्ति, शक्ति और जीवन की हर चुनौती का समाधान

हनुमान जी, जिन्हें ‘हनुमान’ या ‘बजरंगबली’ भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म में शक्ति, भक्ति, और विजय के प्रतीक माने जाते हैं। उनकी पूजा और उनके मंत्रों का जाप करने से भक्तों को न केवल मानसिक और शारीरिक शक्ति मिलती है, बल्कि जीवन के विभिन्न समस्याओं का समाधान भी होता है। हनुमान मंत्रों की शक्ति और प्रभाव अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं, जो हर स्थिति में सहायता और रक्षा प्रदान करते हैं। इस लेख में, हम हनुमान मंत्रों के महत्व, उनके प्रयोग, और उनके लाभ पर विस्तृत रूप से चर्चा करेंगे।

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हनुमान जी का महत्व

हनुमान जी हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं, जिन्हें भगवान राम के परम भक्त के रूप में पूजा जाता है। वे शक्ति, साहस, और समर्पण का प्रतीक हैं। हनुमान जी का वर्णन प्रमुख ग्रंथों जैसे रामायण और महाभारत में मिलता है, जहां उनकी बहादुरी और भक्ति की गाथाएं अत्यंत प्रेरणादायक हैं।

हनुमान मंत्र: शक्ति और सुरक्षा की दिव्य शक्ति

हनुमान मंत्रों का जाप करने से न केवल मानसिक और शारीरिक बल प्राप्त होता है, बल्कि यह जीवन की समस्याओं और संकटों से भी छुटकारा दिलाता है। हनुमान मंत्रों का प्रयोग भक्तों को संकटों से उबारने, स्वास्थ्य लाभ देने, और विजय प्राप्त करने में सहायक होता है।

प्रमुख हनुमान मंत्र

हनुमान चालीसा

हनुमान चालीसा एक अत्यंत प्रसिद्ध और शक्तिशाली मंत्र है, जो हनुमान जी की 40 चौपाइयों से युक्त है। यह मंत्र विशेष रूप से संकटों और समस्याओं के समाधान के लिए पढ़ा जाता है:

जय हनुमान ज्ञान गुण सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।
राम दूत अतुलित बल धामा।
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा॥

हनुमान चालीसा का पाठ नियमित रूप से करने से मानसिक शांति, समस्याओं का समाधान, और जीवन में समृद्धि की प्राप्ति होती है।

हनुमान बीज मंत्र

हनुमान बीज मंत्र एक सरल लेकिन प्रभावशाली मंत्र है, जो शक्ति और सुरक्षा को प्राप्त करने के लिए होता है:

ओम हं हनुमते नमः।

इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को मानसिक बल और आत्मविश्वास प्राप्त होता है, और वह किसी भी संकट का सामना करने में सक्षम हो जाता है।

हनुमान स्तोत्र

हनुमान स्तोत्र हनुमान जी की स्तुति करने वाला एक महत्वपूर्ण मंत्र है, जिसे विशेष रूप से संकट के समय पढ़ा जाता है:

श्री राम दूत हनुमान की जय।
मनोरा, मनोरा, मनोरा बगइया।

  1. इस मंत्र का जाप करने से भक्त को हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में विजय की प्राप्ति होती है।

मंत्रों का महत्व और प्रभाव

हनुमान मंत्रों का जप विशेष रूप से शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक लाभ देने के लिए किया जाता है:

  1. शक्ति और ऊर्जा का संचार: हनुमान मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति में शक्ति और ऊर्जा का संचार होता है। यह उसे मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत बनाता है।
  2. संकट और समस्याओं से मुक्ति: हनुमान जी को संकट मोचन माना जाता है। मंत्रों का जाप करने से जीवन की समस्याओं और संकटों का समाधान होता है और व्यक्ति को शांति मिलती है।
  3. सिद्धि और समृद्धि: हनुमान मंत्रों का जप करने से व्यक्ति को अपने प्रयासों में सिद्धि और समृद्धि प्राप्त होती है। यह विशेष रूप से व्यापार, शिक्षा, और अन्य क्षेत्रों में सफलता की प्राप्ति में सहायक होता है।
  4. रक्षा और सुरक्षा: हनुमान जी की पूजा और मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति की सुरक्षा और रक्षा होती है। यह उसे शारीरिक और मानसिक खतरे से सुरक्षित रखता है।

मंत्र जप की विधि

हनुमान मंत्रों का जप करने के लिए कुछ विशेष विधियों का पालन करना चाहिए:

  1. स्वच्छता और पवित्रता: मंत्र जाप के लिए एक स्वच्छ और पवित्र स्थान का चयन करें। पूजा के स्थान को साफ और व्यवस्थित रखें।
  2. संकल्प और ध्यान: मंत्र जाप से पहले एक संकल्प लें और हनुमान जी की तस्वीर या मूर्ति के सामने ध्यान लगाएं।
  3. माला का प्रयोग: मंत्र जाप के लिए रुद्राक्ष या तुलसी की माला का प्रयोग करें। यह मंत्र जाप को अधिक प्रभावी बनाता है।
  4. सही संख्या में जाप: सामान्यत: एक दिन में 108 बार मंत्र जाप करने की सलाह दी जाती है। इसके लिए माला का 108 दानों वाला सेट आदर्श होता है।
  5. नियमितता: मंत्र जाप को नियमित रूप से करें। यह आपके जीवन में स्थिरता और सकारात्मकता लाने में सहायक होगा।
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मंत्र जाप के लाभ

  1. मानसिक शांति: मंत्र जाप करने से मानसिक शांति और संतुलन मिलता है। यह तनाव और चिंता को कम करता है।
  2. शारीरिक स्वास्थ्य: नियमित मंत्र जाप से शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। यह शरीर को ऊर्जा और बल प्रदान करता है।
  3. आध्यात्मिक उन्नति: मंत्र जाप से व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति होती है। यह उसे अपने आध्यात्मिक लक्ष्य की प्राप्ति में मदद करता है।
  4. भौतिक समृद्धि: मंत्र जाप से भौतिक समृद्धि और सफलता की प्राप्ति होती है। यह विशेष रूप से व्यापार और करियर में सहायक होता है।

हनुमान मंत्रों का प्रयोग जीवन में

हनुमान मंत्रों का जीवन के विभिन्न पहलुओं में उपयोग किया जा सकता है:

  1. संकट और कठिनाइयों से मुक्ति: जब भी आप जीवन में किसी संकट या कठिनाई का सामना कर रहे हों, हनुमान मंत्रों का जाप करके आप उन समस्याओं से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं।
  2. शक्ति और आत्मविश्वास की वृद्धि: हनुमान मंत्रों का जाप आपके आत्मविश्वास और शक्ति को बढ़ाता है। यह आपको आत्मसंबल प्रदान करता है और जीवन की चुनौतियों का सामना करने में मदद करता है।
  3. आध्यात्मिक प्रगति: यदि आप आध्यात्मिक प्रगति की दिशा में काम कर रहे हैं, तो हनुमान मंत्रों का जाप आपकी साधना को और प्रभावशाली बना सकता है।
  4. रक्षा और सुरक्षा: यदि आप खुद को या अपने परिवार को सुरक्षा और रक्षा की आवश्यकता महसूस करते हैं, तो हनुमान मंत्रों का जाप एक सुरक्षा कवच के रूप में कार्य कर सकता है।
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मन की हार-जीत: संतों के अद्भुत स्वभाव की प्रेरक घटना | भैया जी बल्लभगढ़ वाले

भैया जी बल्लभगढ़ वाले आपको एक प्रेरक घटना सुना रहे हैं जो संतों की महानता और उनकी अनोखी शिक्षा देने की विधि को उजागर करती है। यह घटना उस समय की है जब आधुनिक सुविधाएँ नहीं थीं और लोग कुओं से पानी भरते थे।

एक दिन, एक साधु महाराज कुएं के किनारे लेटे हुए थे, और वहीं पर एक वैश्य परिवार की महिला पानी भरने आई। उसने साधु से विनम्रता से कहा, “बाबा, क्या आप मेरी माटी के बर्तन को चकवा देंगे?” साधु महाराज ने जवाब दिया, “मैं तो मरा हुआ हूँ, कैसे कर सकता हूँ?” महिला ने दोबारा आग्रह किया, लेकिन साधु ने फिर वही जवाब दिया। महिला को गुस्सा आया और वह माटी का बर्तन खुद ही चकवा कर घर लौट आई।

उस दिन के बाद, उसी महिला के घर साधु महाराज भिक्षा मांगने के लिए पहुंचे। महिला ने उन्हें पहचानते ही कहा, “तुम तो मरे हुए हो, फिर भिक्षा क्यों मांग रहे हो?” इस पर साधु मुस्कुराए और बिना कुछ कहे लौट आए। महिला के पति ने साधु को फिर से ऊपर जाने को कहा, और साधु महाराज ने पुनः भिक्षा मांगी। महिला ने नाराज होकर उन्हें दुत्कार दिया।

महिला के पति ने यह देखकर कहा, “यह साधु सचमुच मरे हुए हैं, क्योंकि ये अपने मन को मार चुके हैं। मन के हारे हार है और मन के जीते जीत।” उन्होंने यह समझाया कि सच्चा संत वही होता है, जो किसी भी स्थिति में क्रोध नहीं करता और हमेशा दूसरों की भलाई के लिए तत्पर रहता है। यह घटना हमें सिखाती है कि संतों की बातों में गहरा अर्थ छिपा होता है, जिसे समझने के लिए हमें अपनी सोच को खुला रखना चाहिए।

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Bajrang Baan: बजरंग बाण with Lyrics, महत्व, लाभ https://dhaarmi.com/aartis-bhajans-hi/bajrang-baan-lyrics-importance-benefits https://dhaarmi.com/aartis-bhajans-hi/bajrang-baan-lyrics-importance-benefits#respond Thu, 15 Aug 2024 14:43:28 +0000 https://dhaarmi.com/?p=2400 बजरंग बाण: संपूर्ण जानकारी और महत्व with Lyrics

बजरंग बाण एक प्रसिद्ध भक्ति स्तोत्र है जो भगवान हनुमान को समर्पित है। यह स्तोत्र भक्तों को शक्ति और संरक्षण प्रदान करने के लिए जाना जाता है।

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बजरंग बाण Lyrics

दोहा:

जय हनुमंत संजीवन कृपा। जय जय श्री राम की प्यारी। नाच सजे हनुमान को वन्दन। कृपा के लम्बी हुई जन्म की।

अध्यक्ष:

श्री गुरु चरन सरोज रज निज मन मुकुरु सुधारि। बरनऊं रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि।

चौपाई:

बजरंग बली के वाक्य के रूप में ख्यात। कहते हनुमान एक नाम तेरी मूरत। रघुकुल नायक की मूरत अजर अमर। तेरा सेतु रघुकुल प्रताप अमर।

जप तव चरण हनुमंत ध्यान लगावे। प्रणम तव चरण मैं हर ले पावे। सिद्धि लाभ सुग्रीव काज अधीन। चरण पंकज मैं डुबोवत गिन।

धरते बटुक बाली दशरथ पिताम। साधक महिमा लखते न किसी दाम। जप तव बाणी मैं पूजे व्रत जीते। रघुकुल नायक चरणों में समाते।

प्रभु कर का सुमिरन करत आदर। निज अंग का बास सुकृत जगावे। हर जन का उद्धार होऊं करता। जप मंत्र तव सेवक यह मैं करता।

सुनहुँ मैं प्रभु तव कथा अपार। हर सुख दुःख संजीवन प्रकार। वाणी मैं कृपा तव जगाते। रघुकुल सीता सहित सजीव करते।

नमन तव चरण वन्दन भव पात। कृत में हरि चरण मैं सेवक मन। पंथ रघुकुल के चरण में बन्धन। सीता रघुकुल मुझे अनमोल बन्धन।

हनुमान को अमर मैं मान तिहुँ लोका। प्रभु सेवा कृपा से बंदन अनोखा। बजरंग बाण तव नाम हनुमान। सदा हर छाया होवे तकसान।

अख़री:

हर चरण पर रघुकुल आनंदित मन। सुख मैं हर एक वास सब वन। प्रभु कृपा के बल हर कोई जीते। रघुकुल चरण में रघुकुल साधना कीती।

बजरंग बाण का महत्व

  1. भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक: बजरंग बाण भगवान हनुमान की शक्ति और भक्ति का प्रतीक है। यह स्तोत्र भक्तों को हनुमान जी के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करने का एक प्रभावशाली तरीका प्रदान करता है।
  2. संकट मोचन: बजरंग बाण को संकटों, डर और बाधाओं से मुक्ति पाने के लिए पढ़ा जाता है। इसे संकट मोचक माना जाता है जो कठिनाइयों और समस्याओं से उबरने में सहायता करता है।
  3. शक्ति और साहस की प्राप्ति: हनुमान जी को शक्ति और साहस का देवता माना जाता है। इस स्तोत्र का पाठ करने से भक्तों को आत्मविश्वास और मानसिक शक्ति प्राप्त होती है।
  4. सुरक्षा और रक्षा: बजरंग बाण की शक्तियों के कारण इसे सुरक्षा और रक्षा के लिए भी पढ़ा जाता है। यह स्तोत्र बुरे प्रभावों और नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा प्रदान करता है।
  5. सभी परेशानियों का समाधान: यह स्तोत्र हर प्रकार की समस्याओं, मानसिक तनाव और शारीरिक बीमारियों से राहत दिलाने में मदद करता है।
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बजरंग बाण के लाभ

  1. आध्यात्मिक उन्नति: बजरंग बाण का नियमित पाठ करने से भक्तों की आध्यात्मिक उन्नति होती है। इससे भक्त की आत्मा को शांति और संतुलन प्राप्त होता है।
  2. दुष्ट शक्तियों से रक्षा: यह स्तोत्र नकारात्मक शक्तियों, बुरी आत्माओं और दुष्ट लोगों से सुरक्षा प्रदान करता है। बजरंग बाण के जाप से भक्त इन शक्तियों से सुरक्षित रहते हैं।
  3. स्वास्थ्य लाभ: नियमित रूप से बजरंग बाण का पाठ करने से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। यह ध्यान और प्रार्थना के माध्यम से मानसिक शांति को बढ़ावा देता है।
  4. संकटमोचक: यह स्तोत्र जीवन की कठिन परिस्थितियों और संकटों से बाहर निकलने में मदद करता है। इसके पाठ से विश्वास और साहस में वृद्धि होती है, जिससे व्यक्ति समस्याओं का सामना दृढ़ता से कर सकता है।
  5. सफलता और समृद्धि: बजरंग बाण का पाठ करने से कार्यक्षेत्र में सफलता और समृद्धि प्राप्त करने में मदद मिलती है। यह बाधाओं को दूर करने और लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक होता है।
  6. भावनात्मक संतुलन: इस स्तोत्र का पाठ भावनात्मक संतुलन और मानसिक शांति को बढ़ावा देता है। इससे मानसिक तनाव और चिंताओं में कमी आती है।
  7. समाज में सम्मान: भगवान हनुमान की पूजा और बजरंग बाण का पाठ करने से समाज में सम्मान और प्रतिष्ठा मिलती है। यह व्यक्ति के सामाजिक और पेशेवर जीवन को सुदृढ़ करता है।
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भगवान होते हैं तो क्यों नहीं दिखते? जानिए अनिरुद्धाचार्यजी की गहरी व्याख्या

यदि ईश्वर का अस्तित्व है, तो हम उसे क्यों नहीं देख सकते?” अनिरुद्धाचार्य जी ईश्वर की उपस्थिति का अनुभव करने के लिए आवश्यक विश्वास, धारणा और आध्यात्मिक समझ की अवधारणा का पता लगाता है। वह इस बात पर जोर देते हैं कि ईश्वर को देखना भौतिक दृष्टि से नहीं बल्कि आंतरिक अनुभूति और भक्ति से जुड़ा है।

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बजरंग बाण करने से क्या फल मिलता है?

बजरंग बाण का पाठ करने से व्यक्ति को अनेक लाभ मिलते हैं। यह पाठ हनुमान जी की कृपा प्राप्त करने का एक सशक्त माध्यम है। इसे करने से मनोबल में वृद्धि होती है, भय और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है, और व्यक्ति को शांति और संतोष की अनुभूति होती है। बजरंग बाण विशेष रूप से संकटों से मुक्ति दिलाने और शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने में सहायक माना जाता है।

क्या बजरंग बाण रोज नहीं पढ़ना चाहिए?

बजरंग बाण का पाठ नियमित रूप से करना चाहिए, परंतु इसे बहुत अधिक संख्या में पढ़ने से बचना चाहिए। यह एक शक्तिशाली मंत्र है और इसके अत्यधिक पाठ से विपरीत प्रभाव भी हो सकते हैं। विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार, इसे आवश्यकता के अनुसार ही पढ़ा जाना चाहिए।

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हनुमान चालीसा Hindi | हनुमान जी आरती | Hanuman Chalisa lyrics

बजरंग बाण कौन पढ़ सकता है?

बजरंग बाण का पाठ कोई भी कर सकता है, जो श्रद्धा और विश्वास के साथ इसे पढ़े। इसे पढ़ने के लिए कोई विशेष नियम या योग्यता की आवश्यकता नहीं होती। पुरुष, महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग सभी इसका पाठ कर सकते हैं।

बजरंग बाण कितने बजे करना चाहिए?

बजरंग बाण का पाठ प्रातःकाल या सायंकाल में किया जाना उत्तम माना जाता है। इन समयों में वातावरण शांत और ऊर्जा सकारात्मक होती है, जिससे पाठ का प्रभाव अधिक होता है।

11 बार बजरंग बाण पाठ करने से क्या होता है?

बजरंग बाण का 11 बार पाठ करने से व्यक्ति की इच्छाएं पूर्ण होती हैं और उसे मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। यह पाठ विशेष रूप से संकटों और कष्टों से मुक्ति के लिए किया जाता है।

21 बार बजरंग बाण पढ़ने से क्या होता है?

21 बार बजरंग बाण का पाठ करने से व्यक्ति को विशेष लाभ होते हैं। यह पाठ हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त करने और जीवन में शांति, समृद्धि, और सफलता प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

बजरंग बाण कितना शक्तिशाली है?

बजरंग बाण एक अत्यंत शक्तिशाली मंत्र है। इसका नियमित और सही विधि से पाठ करने पर व्यक्ति को अनेक लाभ होते हैं। यह मंत्र हनुमान जी की कृपा से सभी प्रकार के संकटों और बाधाओं को दूर करने में सक्षम है।

बजरंग बाण सिद्ध कैसे करें?

बजरंग बाण को सिद्ध करने के लिए इसे नियमपूर्वक और श्रद्धा के साथ 108 बार पढ़ा जाता है। इसे किसी विशेष माला का प्रयोग करके भी सिद्ध किया जा सकता है। सिद्ध होने के बाद, यह मंत्र अत्यंत प्रभावी हो जाता है और त्वरित फल प्रदान करता है।

क्या लड़कियां बजरंग बाण पढ़ सकती हैं?

हाँ, लड़कियां भी बजरंग बाण का पाठ कर सकती हैं। इस मंत्र का प्रभाव सभी के लिए समान होता है और इसमें कोई भी भेदभाव नहीं है। बस, इसे श्रद्धा और विश्वास के साथ पढ़ना चाहिए।

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हनुमान चालीसा और बजरंग बाण में क्या अंतर है?

हनुमान चालीसा एक स्तोत्र है जो भगवान हनुमान की महिमा का गुणगान करता है और इसे नियमित रूप से पढ़ने से मानसिक शांति और संतोष प्राप्त होता है। वहीं, बजरंग बाण एक शक्तिशाली मंत्र है जो विशेष रूप से संकटों और शत्रुओं से रक्षा के लिए पढ़ा जाता है। दोनों ही मंत्र हनुमान जी की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत प्रभावी माने जाते हैं, परंतु उनके उद्देश्य और प्रभाव अलग-अलग होते हैं।

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मंत्रों का वैज्ञानिक आधार

मंत्र केवल धार्मिक आस्था पर ही आधारित नहीं होते, बल्कि इनका वैज्ञानिक आधार भी होता है। ध्वनि विज्ञान के अनुसार, प्रत्येक ध्वनि की एक विशेष आवृत्ति होती है जो हमारे मस्तिष्क और शरीर पर प्रभाव डालती है। मंत्रों का उच्चारण एक विशेष तरीके से करने पर हमारे मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

प्रमुख मंत्र और उनके लाभ

1. गायत्री मंत्र

मंत्र: “ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।”

लाभ: गायत्री मंत्र को सभी मंत्रों का राजा कहा जाता है। इसे जपने से मानसिक शांति, बुद्धि की वृद्धि और आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ती है। यह मंत्र हमारे सभी पापों का नाश करता है और हमें जीवन के सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।

2. महामृत्युंजय मंत्र

मंत्र: “ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।”

लाभ: इस मंत्र को भगवान शिव का मंत्र माना जाता है। इसे जपने से मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है और दीर्घायु की प्राप्ति होती है। यह मंत्र बीमारियों से मुक्ति दिलाने और जीवन में आने वाली आपदाओं से बचाने में सहायक होता है।

3. श्री गणेश मंत्र

मंत्र: “ॐ गं गणपतये नमः।”

लाभ: श्री गणेश मंत्र को जपने से सभी प्रकार की बाधाओं और विघ्नों का नाश होता है। यह मंत्र किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत करने से पहले जपा जाता है ताकि कार्य में कोई भी अवरोध न आए।

मंत्र जपने की विधि

मंत्र जपने के लिए कुछ विशेष नियम और विधियाँ होती हैं जिनका पालन करना आवश्यक होता है।

1. शुद्धता

मंत्र जपने से पहले शारीरिक और मानसिक शुद्धता आवश्यक होती है। जप करने वाले व्यक्ति को स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए।

2. आसन

मंत्र जपने के लिए एक विशेष आसन पर बैठना चाहिए। सामान्यतः पद्मासन या सुखासन में बैठकर मंत्र जप करना उचित होता है। इससे शरीर और मन स्थिर रहते हैं।

3. समय

मंत्र जपने का सबसे उचित समय ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4-6 बजे) माना जाता है। इस समय वातावरण शुद्ध और शांत रहता है, जिससे मंत्र जप का प्रभाव बढ़ता है।

4. संख्या

मंत्र जप की संख्या एक निश्चित मात्रा में होनी चाहिए। सामान्यतः 108 बार जपने का नियम होता है। इसके लिए माला का प्रयोग किया जा सकता है।

मंत्रों का धार्मिक और सामाजिक महत्व

मंत्र केवल आध्यात्मिक उन्नति के लिए ही नहीं, बल्कि समाजिक और धार्मिक कार्यों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

1. धार्मिक अनुष्ठान

विवाह, यज्ञ, हवन और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों में मंत्रों का जप किया जाता है। इससे अनुष्ठान की पवित्रता और प्रभाव बढ़ता है।

2. सामाजिक कार्य

समाजिक कार्यों जैसे शांति स्थापना, रोग निवारण और प्राकृतिक आपदाओं से मुक्ति के लिए भी मंत्रों का जप किया जाता है।

विभिन्न देवताओं के मंत्र और उनके लाभ

1. श्री विष्णु मंत्र

मंत्र: “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।”

लाभ: श्री विष्णु मंत्र का जप करने से धन, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह मंत्र हमें सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा से मुक्त करता है और जीवन में सकारात्मकता लाता है।

2. श्री लक्ष्मी मंत्र

मंत्र: “ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः।”

लाभ: श्री लक्ष्मी मंत्र का जप करने से धन, ऐश्वर्य और वैभव की प्राप्ति होती है। यह मंत्र हमारे घर में सुख-शांति और समृद्धि लाता है।

3. श्री हनुमान मंत्र

मंत्र: “ॐ हनुमते नमः।”

लाभ: श्री हनुमान मंत्र का जप करने से भय, बाधाओं और शत्रुओं से मुक्ति मिलती है। यह मंत्र हमें साहस, शक्ति और आत्मविश्वास प्रदान करता है।

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मंत्रों का मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रभाव

मंत्र जपने से हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

1. मानसिक स्वास्थ्य

मंत्र जपने से मानसिक तनाव और चिंता कम होती है। इससे मन की शांति और स्थिरता बढ़ती है।

2. शारीरिक स्वास्थ्य

मंत्र जपने से शरीर की ऊर्जा बढ़ती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है।

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